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मानव शरीर रचना विज्ञान एवं क्रिया विज्ञान क्या है | Human Anatomy And Physiology

शरीर रचना विज्ञान या एनाटोमी क्या है

शरीर रचना विज्ञान चिकित्सा शास्त्र अर्थात् मेडिकल साइंस की वह शाखा है जिसमें शरीर की रचना तथा उसके विभिन्न अंगों के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है यही शरीर रचना विज्ञान अर्थात् एनाटॉमी कहलाता है। शरीर रचना विज्ञान के अंतर्गंत निम्नलिखित शाखाएं आती हैं-

1. कोशिका विज्ञान

2. उतक विज्ञान

3. सूक्ष्म शरीर रचना विज्ञान

4. स्थूल शरीर रचना विज्ञान

5. अस्थि विज्ञान

6. पेशीय विज्ञान

7. सन्धि विज्ञान

8. तंत्रिका विज्ञान आदि शरीर रचना विज्ञान के अंतर्गत आते हैं।

शरीर क्रियाविज्ञान या फिजियोलॉजी क्या है

शरीर क्रिया विज्ञान चिकित्सा शास्त्र अर्थात् मेडिकल साइंस की वह शाखा है जिसमें शरीर में सम्पन्न होने वाली क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इससे पता चलता है कि हमारे शरीर में विद्यमान अंग एवं संस्थान क्या और किस प्रकार कार्य करते हैं जैसे मनुष्य कैसे खाना खाता है, उसका पाचन किस प्रकार होता है, उसका आँत की दीवारों से अवशोषण किस प्रकार होता है, अवशोषण के पश्चात् भोजन का स्वांगीकरण या आत्मीकरण किस प्रकार से होता है; मनुष्य मल-मूत्र त्याग कैसे करता है

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शरीर रचना एवं क्रियाविज्ञान विडियो देखें

मनुष्य कैसे श्वास लेता है; निरन्तर हृदय के द्वारा पम्प करने पर रक्त शरीर में किस प्रकार परिसंचरित होता है; तन्त्रिका तन्त्र Nervous System किस प्रकार शरीर के सभी तन्त्रों को नियमित और समन्वित करता है, कैसे हमें इसके द्वारा अनुभूतियाँ होती हैं, कैसे हमारे शरीर में गतियाँ होती हैं और कैसे यह हर पल हमारा मार्गदर्शन करता है; मनुष्य में जनन क्रिया किस प्रकार से होती है आदि बातों की जानकारी प्राप्त होती है।

शरीर रचना विज्ञान एवं क्रिया विज्ञान के अध्ययन का महत्व

शरीर रचना विज्ञान या एनाटॉमी और शरीर क्रिया विज्ञान अथवा फिजियोलॉजी का एक दूसरे के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। मनुष्य के शरीर की रचना तथा उसके शरीर के विभिन्न अंगों के कार्य एक दूसरे से पृथक होने वाले नहीं होते, वे एक दूसरे पर निर्भर रहने वाले होते हैं जैसे फेफड़ों की रचना का सम्बन्ध सांस लेने और निकालने अर्थात् गैस विनिमय से होता है, आमाशय में भोजन का पाचन होता है, गुर्दों का मूत्र बनाने का कार्य होता है आदि। इसका अभिप्राय यह है कि शरीर के किसी अंग की रचना का अध्ययन करने के साथ-साथ उसके कार्य का अध्ययन भी करना चाहिए। रोगग्रस्त मनुष्य में उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों का विज्ञान अर्थात् विकृति विज्ञान Pathology का भी एनाटॉमी तथा फिजियोलॉजी के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है अतः Pathology की दो शाखाएँ हैं-

1. Pathological Anatomy

2. Pathological Physiology

सामान्य शरीर-रचना विज्ञान एवं शरीर-क्रिया विज्ञान के ज्ञान के बिना उन परिवर्तनों को समझना असम्भव होता है जो रोग के द्वारा मनुष्य के सम्पूर्ण शरीर में सार्वदैहिक रूप में तथा विभिन्न अंगों में उत्पन्न होते हैं।

रोग की रोकथाम के लिए मनुष्य के शरीर की रचना एवं उसके विभिन्न अंगों के कार्यों के विषय में पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक है। रोग की चिकित्सा तभी की जा सकती है जब मनुष्य के शरीर की रचना और उसके विभिन्न अंगो के कार्यों के विषय में ज्ञान हो। एक चिकित्सक को मानव शरीर-रचना विज्ञान एवं शरीर-क्रिया विज्ञान का समुचित ज्ञान होना चाहिए यदि उसे अपने रोगियों की समझदारी से और सफलतापूर्वक देख-भाल करनी है। प्राचीन काल के वैज्ञानिकों को भी एनाटॉमी और फिजियोलॉजी का ज्ञान था परन्तु वह ज्ञान अपूर्ण था और वह न तो क्रमबद्ध था और न ही वैज्ञानिक था।

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