माण्डूक्योपनिषद् का परिचय
माण्डूक्योपनिषद् अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत का एक उपनिषद् है। इस उपनिषद् में कुल बारह मंत्र हैं। माण्डूक्योपनिषद् दस मुख्य उपनिषदों में सबसे छोटा उपनिषद् है, किन्तु इस उपनिषद् का महत्व अन्य किसी भी उपनिषद् से कम नहीं है। भगवान गौड़पादाचार्य ने इस उपनिषद् पर कारिकाएँ लिखकर इस उपनिषद् का महत्व और अधिक बढ़ा दिया है। इस उपनिषद् में ॐकार को अक्षर ब्रह्म परमात्मा का श्रेष्ठ सम्बोधन सिद्ध करते हुए उसके विभिन्न चरणों एवं मात्राओं का विवेचन किया गया है।
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अ, उ, म् तीन मात्राओं तथा वैश्वानर, तैजस एवं प्राज्ञ इन तीन चरणों के साथ मात्रा रहित चौथे चरण निर्विशेष का उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त अव्यक्त परमात्मा के व्यक्त विराट् जगत् स्वरूप का भी वर्णन है।
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