Recents in Beach

पाशुपतब्रह्मोपनिषद का परिचय | Pashupat Brahmopanishad in Hindi | पाशुपत ब्रह्मोपनिषद

पाशुपतब्रह्मोपनिषद का परिचय

पाशुपतब्रह्मोपनिषद् अथर्ववेदीय परम्परा से सम्बद्ध एक उपनिषद् है। पाशुपतब्रह्मोपनिषद् का परिचय जानने से पूर्व हमें उपनिषदों का सम्पूर्ण परिचय एवं उपनिषदों में योग का स्वरुप जानना जरूरी है। जिनके विषय में हम पूर्व में जान चुके हैं। इस उपनिषद् में वालखिल्य ऋषि एवं स्वयंभू ब्रह्माजी के बीच हुए 'हंस सूत्र' विषयक प्रश्नोत्तर का वर्णन है। यह उपनिषद् प्रमुख दो काण्डों अर्थात् पूर्वकाण्ड और उत्तरकाण्ड में प्रविभक्त है।

प्रथम काण्ड अर्थात् पूर्वकाण्ड में सर्वप्रथम जगत्-नियन्ता के विषय में सात प्रश्न किए गये हैं, जिनका क्रमशः उत्तर दिया गया है। तत्पश्चात् सृष्टियज्ञ में कर्त्ता का निरूपण, नादानुसन्धान यज्ञ, परमात्मा का 'हंस' रूप, यज्ञसूत्र एवं ब्रह्मसूत्र में साम्य, प्रणव हंस का यज्ञत्व, ब्रह्मसन्ध्या का क्रियारूप मानसिक यज्ञ, हंस और प्रणव का अभेदानुसंधान, 96 हंस सूत्र हंसात्मविद्या से मुक्ति, बाह्य यज्ञ की अपेक्षा आन्तरिक यज्ञ की श्रेष्ठता, ज्ञान यज्ञरूप अश्वमेध तथा तारकहंस ज्योति का वर्णन है।

Pasupata Brahma Upanishad in Hindi

द्वितीय काण्ड अर्थात् उत्तरकाण्ड में सर्वप्रथम ब्रह्मसम्पत्ति का तत्पश्चात् परमात्मा में जगत् का आविर्भाव मायाजन्य, हंसार्कप्रणव ध्यान की विधि, शिव द्वारा मन तथा इन्द्रियों की प्रेरकता, आत्मा में अन्य की अनुभूति माया जन्य, आत्मज्ञानी की ब्रह्मात्मता, सत्यादि श्रेष्ठविद्या का साधनत्व, आत्मज्ञानी की आवागमन से मुक्ति, ब्रह्मज्ञानी के लिए भक्ष्याभक्ष्य विवेक की अनुपयोगिता और अन्त में ज्ञानी द्वारा अपने में सभी के दर्शन करने की स्थिति का वर्णन है। इस प्रकार ब्रह्मविषयक गूढ़ सिद्धान्तों का बहुत विशद वर्णन इस उपनिषद् में किया गया है।

अगर आप इच्छुक हैं तो योग विषयक किसी भी वीडियो को देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं। साथ ही योग के किसी भी एग्जाम की तैयारी के लिए योग के बुक्स एवं टूल्स स्टोर पर जाएं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ