पितृऋण क्या है
पितृऋण नाम से ही यह स्पष्ट है कि यह पिता का ऋण है। ग्रंथों में पितृऋण को चुकाने हेतु विवाह कर संतान उत्पत्ति का आदेश दिया गया है। पितृऋण जानने से पूर्व त्रिऋण क्या है इस विषय में भी जानना जरूरी है, जिसके विषय में हम पूर्व में ही चर्चा कर चुके हैं। पितृऋण त्रिऋण के अंतर्गत आने वाला एक ऋण है यहाँ इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
पितृऋण आखिर किसे कहते हैं? वीडियो देखें
पितृऋण का अर्थ
पितृऋण का पालन न किया जाये तो तमाम मानव जाति
का संरक्षण हो पाना संभव नहीं है। व्यक्ति की वंश परम्परा बढ़ाने में पितृऋण ही
सर्वोपरि ऋण है। उल्लेखनीय है कि त्रिऋणों से मुक्ति विभिन्न आश्रमों में रहते हुए
सम्भव बताई गई है। जैसे, पितृऋण से मुक्ति गृहस्थाश्रम में सम्भव मानी गई
है। गृहस्थाश्रम में प्रवेश हेतु विवाह संस्कार तो आवश्यक था ही, संतान उत्पत्ति
हेतु तथा संतान के जन्म के पश्चात् भी विभिन्न संस्कार आवश्यक बताये गये थे, ताकि संतान एक
श्रेष्ठ मानव बन सके। इस प्रकार यह पितृऋण है।
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