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उत्कटासन की विधि लाभ सावधानियां | Utkatasana Kaise kare | उत्कटासन के फायदे

उत्कटासन का नामकरण

उत्कटासन शरीर संवर्धनात्मक एवं संतुलनात्मक आसनों की श्रेणी के अंतर्गत आने वाला एक प्रमुख आसन है। इस आसन का नाम इसलिए उत्कटासन पड़ा क्योंकि इस आसन में बैठने से उत्सुकता झलकती है, इसलिए इसे उत्कटासन कहा जाता है। उत्कटासन का वर्णन महर्षि घेरंड ने अपने हठयौगिक ग्रन्थ घेरंड संहिता में 32 आसनों के अंतर्गत भी किया है। उत्कटासन के अभ्यास के लिए सर्वप्रथम पाँवों के अँगूठों को पृथ्वी पर टिका कर उनके सहारे बैठना चाहिए ध्यान रहे की एड़ियां भूमि पर टिके तथा गुदा स्थान को एड़ियों पर रखते हैं तो शरीर की इस स्थिति का नाम उत्कटासन है।

उत्कटासन की विधि

सामान्य रूप से हम उत्कटासन का अभ्यास इस प्रकार करते हैं- उत्कटासन के अभ्यास के लिए सर्वप्रथम सीधे खड़े होकर पैरों के बीच कमर की चौड़ाई जितनी दूरी रखते हैं और घुटनों को मोड़ लेते हैं। दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रख देते हैं। यह सबसे सरल तरीका है। लेकिन इसकी अन्तिम अवस्था दूसरी है। वह भी बहुत सरल है। अन्तिम अवस्था में दोनों पैरों को आपस में सटाकर रखते हैं। अब जिस प्रकार ताड़ासन में पंजों को ऊपर उठाते हैं, उसी प्रकार ऊपर उठते हैं और उसी अवस्था में फिर घुटनों को फैलाते हुए इस प्रकार बैठते हैं कि एड़ी गुदा द्वार से लग जाये।

Utkatasana Ke Fayde in Hindi

उत्कटासन की विधि लाभ एवं सावधानियां वीडियो देखें

इस प्रकार की स्थिति में आने के पश्चात् घुटने ऊपर रहते हैं। दोनों हाथ घुटनों पर रहेंगे। घुटनों को जमीन से नहीं लगाना है, वे ऊपर ही रहेंगे। केवल पंजों पर शरीर का भार रहेगा और एड़ियाँ गुदा-द्वार से सटी हुई रहेंगी। इस प्रकार यह उत्कटासन हुआ। इस आसन में बैठने से शरीर में उत्सुकता झलकती है इसलिए इस आसन को उत्कटासन कहते हैं। उत्सुकता के समय आदमी इसी प्रकार बैठता है ताकि यदि जल्दी से कुछ काम करना हो तो तुरंत उठ जायें। पंजे और एड़ियाँ परस्पर जुड़ी हुई रहती हैं।

उत्कटासन के लाभ

उत्कटासन अन्य आसनों की दृष्टि में बहुत सरल आसन है। इसमें मुख्य रूप से शारीरिक सन्तुलन का ध्यान रखना पड़ता है। उत्कटासन के अन्य लाभ -

  • उत्कटासन का निरंतर अभ्यास जाँघों की मांसपेशियों को पुष्ट बनाता है।
  • इस आसन के अभ्यास से टखने, जांघें, पिंडली, और रीढ़ की हड्डी मज़बूत होती हैं।
  • उत्कटासन का अभ्यास कंधे और छाती में खिंचाव लाता है।
  • इस आसन का निरंतर अभ्यास पेट के अंगों, डायाफ्राम, और दिल को उत्तेजित करता है।
  • उत्कटासन शारीरिक सन्तुलन को पक्का बनाने के लिए, सन्तुलन समूह के आसनों में से एक है।

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उत्कटासन की सावधानियाँ

उत्कटासन एक सरलतम आसन है लेकिन किसी कारणवश अभ्यास के दौरान जाघों या घुटनों में दर्द का अनुभव हो तो अभ्यास रोक देना चाहिए। यदि जाघों, घुटनों या टखनों में किसी प्रकार की चोट लगी हो या ऑपरेशन हुआ हो तो उस दौरान अभ्यास नहीं करना चाहिए। चक्कर आने पर भी इस आसन के अभ्यास को करने से बचना चाहिए। उत्कटासन का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए साथ ही ह्रदय रोग से ग्रसित व्यक्तियों को इस आसन को किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करनी चाहिए।

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