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स्वस्थवृत्त क्या है | Swasthavritta Kya Hai | स्वस्थवृत्त का अर्थ क्या है | जानिए स्वस्थवृत्त किसे कहते हैं

स्वस्थवृत्त क्या है

स्वस्थवृत्त चिकित्सा विज्ञान का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग है। पिछले कुछ वर्षों में इस विषय का महत्त्व और भी बढ़ गया है। आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बदलते मूल्यों के साथ अब इस तथ्य को पर्याप्त मान्यता प्राप्त हो चुकी है कि जनस्वास्थ्य का उन्नयन तथा रोगों की रोकथाम रोगनिदान तथा चिकित्सा से भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य है। यदि सामुदायिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर जनस्वास्थ उन्नत नहीं होगा और नाना प्रकार के रोग अपनी गति से उत्पन्न होते रहेंगे, तो किसी भी राष्ट्र के लिए असीम धन के व्यय से भी यह सम्भव नहीं हो पायेगा कि प्रत्येक रोगी को पूर्ण चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जा सके। रोगों की रोकथाम में धन लगाना उनकी निदान चिकित्सा में धन लगाने से कहीं अधिक उपयोगी है।

स्वस्थवृत्त का अर्थ

आयुर्वेद मेंस्वस्थवृत्त के अन्तर्गत मनुष्य के लिए देशकालऋतु एवं प्रकृति के अनुसार आहार एवं विहार का वर्णन किया गया है। स्वस्थवृत्त स्वास्थ्य परिरक्षण हेतु स्वस्थ पुरुष को नित्य सोकर उठने के बाद जो कर्म करना चाहिए उसे ही स्वस्थवृत्त कहते हैं। स्वस्थवृत्त पालन से रोगों को दूर रखते हुए आरोग्यपूर्वक सप्रयोजन जीवनयापन किया जा सकता है और त्र्यैषणा एवं पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति की जा सकती है। यही आयुर्वेद का प्रमुख उद्देश्य है।

Swasthavritta-Vigyan

पृथ्वी पर कोई भी प्राणी अमर होकर नहीं उत्पन्न होताअत: मृत्यु से त्राण नहीं मिल सकता परन्तु मनुष्य अपनी जीवन शैली को सही करके अर्थात् अपनी जीवन शैली को सुधार करके शारीरिक एवं मानसिक रोगों को दूर कर सकता है। इसी उद्देश्य से आयुर्वेद शास्त्र तथा स्वस्थवृत्त विज्ञान का विकास किया गया है।

इसी उद्देश्य पर बल देने हेतु आचार्य चरक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है कि संसार में सब कुछ छोड़कर स्वशरीर का पालन करना चाहिए क्योंकि शरीर ही सर्व सुख-दु:ख के भोग का माध्यम है।

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जिस प्रकार नगरस्वामी नगर तथा सारथी रथ की रक्षा में सदा तत्पर रहता है उसी प्रकार बुद्धिमान् पुरुष को अपने शरीर की रक्षा में तत्पर रहना चाहिए। आयुर्वेद में स्वास्थ्य परिरक्षण हेतु विस्तृत दिनचर्यारात्रिचर्या तथा ऋतुचर्या का उल्लेख है। इनके पालन से शरीर स्वस्थ रहता है और इनके पालन न करने से रोग उत्पन्न होते हैं। स्वस्थ मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा देश, काल, ऋतु प्रकृति के अनुसार उसके सम्यक् आहार-विहार का उपदेश करना स्वस्थवृत्त का प्रयोजन है।

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