मानव शरीर परमात्मा की एक सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसे स्वस्थ एवं निरोगी रखना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य एवं धर्म है। वर्तमान समय में जीवन की जटिलताएँ इतनी बढ़ती जा रही हैं कि मनुष्य विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक रोगों से ग्रसित होता जा रहा है। जहाँ जनजीवन में सामान्यतः नये-नये रोग विकसित हो रहे हैं वहीं चिकित्सा पद्धतियों का भी विस्तार हो रहा है। एक रोग का उपचार दूसरे अन्य रोगों को जन्म दे देता है और औषधियों की संख्या भी बढ़ रही है।
प्राचीन काल से भारत में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियाँ प्रचलित हैं। रोगों के विस्तार होने के कारण कुछ नई पद्धतियाँ भी सामने आ रही हैं तथा सभी चिकित्सा शास्त्रों के पृथक-पृथक गुण और दोष भी है। कुछ पद्धतियाँ ऐसी हैं जिनसे रोग तो शीघ्र ठीक हो जाते हैं परंतु उनमें स्थायित्व नहीं रहता। कुछ ऐसी भी पद्धति हैं जिसके उपचार से रोग तो ठीक हो जाता है पर दूसरा रोग पनप जाता है।
परन्तु भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में ऐसे भी उपचार हैं जो रोग के गुण-दोषों को साम्यावस्था में लाकर स्थायी लाभ एवं आरोग्य प्रदान करते हैं। ऐसी ही चिकित्सा का वर्णन करने का हमने प्रयास किया है जिसे वैकल्पिक चिकित्सा की उपाधि दी गई है।
वैकल्पिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेकानेक चिकित्साएँ आती हैं-
1. योग चिकित्सा
2. एक्यूप्रेशर
चिकित्सा
3. रेकी चिकित्सा
4. अध्यात्म चिकित्सा
5. मंत्र चिकित्सा
6. प्राण चिकित्सा
7. संगीत चिकित्सा
8. होम्योपैथी चिकित्सा
9. प्राकृतिक चिकित्सा एवं
प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न अगं- मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा सूर्य चिकित्सा, आकाश चिकित्सा, मालिश चिकित्सा एवं यज्ञ चिकित्सा आदि।
वैकल्पिक चिकित्सा का सामान्य परिचय
"शरीरं व्याधि मन्दिरम्" इस आर्शवचन के अनुसार अत्यधिक सावधान रहने पर भी शरीर को कोई न कोई रोग ग्रास बना ही लेता है। अतः यह मानव शरीर व्याधियों का केन्द्र है। रोगों से बचाते हुए शरीर की रक्षा और आरोग्य की सतत् स्थिति बनाए रखना कठिन होता है।
वर्तमान समय में अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएँ, विभिन्न प्रकार की भौतिक साधन सामग्री होते हुए भी आज का मनुष्य पहले की अपेक्षा अधिक रोग ग्रस्त है। आज मनुष्य को पहले की अपेक्षा साधन एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हैं, फिर भी विभिन्न प्रकार के रोग उसे घेरे हुए हैं। इसका मूल कारण है हमारा आधुनिक विलासिता पूर्ण जीवन और हमारे दैनिक भोजन में प्राकृतिक तत्वों का ह्रास या अभाव होना है।
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आधुनिकता आज हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है। यह हमारे जीवन में दूध और पानी की तरह घुली मिली है। शारीरिक आराम और इन्द्रिय सुख में रत रहना उसी आधुनिकता की देन है। आज मनुष्य उसे अपने जीवन के लिए वरदान समझ रहा है, जबकि वस्तुतः हमारे जीवन के लिये वह अभिशप्त बनी हुई है। आधुनिक जीवन के जो भयंकर दुष्परिणाम हमारे सामने आए हैं उनसे बचने और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए उस तथाकथित आधुनिकता के पास कोई सुगम साधन नहीं है।
जब मनुष्य उत्तेजनात्मक भावों और विकारों से पीड़ित रहता है तथा कुण्ठा और तनाव से उसका जीवन दूभर हो जाता है तब वह इन सबसे छुटकारा पाने तथा शांति और सुखपूर्वक जीवन यापन एवं विश्रान्ति प्राप्ति के लिए बेचैन हो उठता हैं। आधुनिकता में इसके लिए नींद की गोलियाँ खाना ही एकमात्र उपाय है किन्तु इससे भी उसकी समस्या का समाधान नहीं होता। ऐसी स्थिति में योगासन एवं वैकल्पिक चिकित्सा उसके लिए अत्यन्त लाभदायक एवं उपयोगी हो सकती है तथा अनेक रोगों से सहज ही मुक्ति पा सकते हैं।
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