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कोशिका की संरचना | Structure of Cell | कोशिका क्या है | कोशिका के तीन मुख्य भाग

कोशिका क्या है

मानव शरीर असंख्य सूक्ष्म इकाईयों से मिलकर से बना है, जिन्हें कोशिकाएँ (CELL) कहा जाता है। कोशिका शरीर का सूक्ष्मतम रूप है। यह शरीर की एक मूलभूत रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है, जो स्वतन्त्र रूप से जीवन की क्रियाओं को चलाने की क्षमता रखती है। शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में भिन्नता होती है परन्तु समस्त कोशिकाओं की मूलभूत संरचना एकसमान ही होती है। ये इतनी सूक्ष्म होती हैं, कि इन्हें बिना माइक्रोस्कोप के देख सकना सम्भव नहीं है। कार्यों की विभिन्नता के कारण कोशिकाओं के आकार एवं आकृति में अन्तर होता है, परन्तु कुछ रचनात्मक विशिष्ट गुण उन सभी में समान रहते हैं।

कोशिका की संरचना (STRUCTURE OF CELL)

कोशिका की संरचना जानने से पूर्व हमने कोशिका क्या है इस विषय को देखा। आगे हम कोशिका की संरचना को जानेंगे की आखिर कोशिकाएं किस प्रकार से और किस-किस से मिलकर बनी होती हैं। प्रत्येक कोशिका के निम्न तीन मुख्य भाग होते हैं-

1. कोशिका कला या भित्ति (CELL MEMBRANE OR CELL WALL)

2. कोशिकाद्रव्य (CYTOPLASM)

3. केन्द्रक (NUCLEUS)

कोशिका की संरचना

1. कोशिका कला (CELL MEMBRANE)

कोशिका कला एक पतली झिल्ली है जो कोशिका की सबसे बाहरी (OUTERMOST) परत को बनाती है। इसे प्लाज्मा मेम्ब्रेन भी कहा जाता है। यह वसा (LIPID), प्रोटीन तथा लवणों की दो परतों वाली झिल्ली है। इसकी उत्पत्ति कोशिकाद्रव्य (CYTOPLASM) से होती है। कोशिका कला से ही समस्त कोशिकाओं से अलग रहती है। परन्तु कोशिका कला इतनी सूक्ष्म होती है तथा समीपस्थ कोशिका की भित्ति से इतना अधिक सट जाती है, कि दोनों कोशिकाओं के मध्य केवल एक भित्ति ही दिखाई देती है। यह पारदर्शी तथा अर्द्धपारगम्य (SEMI PERMEABLE) होती है।

2. कोशिकाद्रव्य या साइटाप्लाज्म (CYTOPLASM)

केन्द्रक के अतिरिक्त कोशिका के भीतर के समस्त भाग को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। कोशिका का जीवन इसी साइटोप्लाज्म पर ही आधृत है, एवं इसी पर कोशिका की समस्त मूलभूत जीवन-क्रियाएँ वृद्धि, श्वसन, गतिशीलता, पाचन, उत्सर्जन, चपापचय, उत्तेजनशीलता तथा प्रजनन आदि निर्भर करती हैं। जीवितावस्था में साइटोप्लाज्म में अनेक रासायनिक क्रियाएँ अति तीव्र गति से होती रहती हैं, जिसके फलस्वरूप कोशिकाएँ जीवित रहती हैं। जीवितावस्था में साइटोप्लाज्म की रचना देखना असम्भव होता है। अतः इसके गठन का कुछ पता नहीं लगता है। यदि इसका विश्लेशण करने का प्रयत्न किया जाय तो यह नष्ट हो जाता है और इसमें कुछ रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं। इसके नष्ट हो जाने पर समस्त जैविक क्रियाएँ रूक जाती हैं, जिसके फलस्वरूप प्राणी की मृत्यु हो जाती है।

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3. केन्द्रक (NUCLEUS)

लाल रक्त कोशिकाओं (ERYTHROCYTES) को छोड़कर शरीर की समस्त कोशिकाओं के मध्य भाग में एक गोलाकार रचना होती है, जिसे केन्द्रक अर्थात् न्यूक्लिअस कहते हैं। कंकालीय पेशी (SKELETAL MUSCLE) एवं कुछ अन्य कोशिकाओं में एक से अधिक केन्द्रक होते हैं। केन्द्रक कोशिका का सबसे बड़ा अंगक (ORGANELLE) होता है तथा यह कोशिका कला या प्लाज्मा मेम्ब्रेन के समान एक दोहरी परत वाली मेम्ब्रेन जिसे केन्द्रक कला (NUCLEAR MEMBRANE) कहते हैं, से चारों ओर से घिरा रहता है, जिससे केन्द्रक साइटोप्लाज्म से अलग रहता है।

न्यूक्लियर मेम्ब्रेन में छोटे-छोटे छिद्र (TINY PORES) होते हैं जिससे कुछ ही पदार्थ इसके और साइटोप्लाज्म के बीच आ-जा सकते हैं एवं इन पदार्थों पर नियन्त्रण रखती है। न्यूक्लियस के भीतर विद्यमान द्रव को न्यूक्लियो प्लाज्मा या केन्द्रकद्रव्य कहते हैं, जो प्रोटोप्लाज्म का ही भाग होता है। यह कोशिका की वृद्धि एवं कोशिका को दो सन्तति कोशिकाओं (DAUGHTER CELLS) में विभाजित होने के लिए आवश्यक सूचनाएँ जमा रखता है।

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