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एक्यूप्रेशर चिकित्सा क्या है | एक्यूप्रेशर का अर्थ | Acupressure Therapy in Hindi | एक्यूप्रेशर की परिभाषा

एक्युप्रेशर क्या है

एक्यूप्रेशर चिकित्सा अत्यंत प्राचीन एवं प्रभावी चिकित्सा प्रणाली है प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में एक्युपंचर, एक्युप्रेशर पद्धति का उपयोग स्वास्थ्य प्राप्ति हेतु किसी न किसी रूप में होता आ रहा है। ऋषि मुनियों द्वारा भी शरीर के भिन्न-भिन्न दाब बिन्दुओं पर गहरी मालिश या फिर किसी प्रकार का दबाव देकर चिकित्सा किया जाता रहा है। इन सभी बिन्दुओं का वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद में भी 'मर्म के रूप में हुआ है। मर्म चिकित्सा क्या है इसे हम पूर्व में ही जान चुके हैं

सुची भेदन के द्वारा उपचार प्राचीन काल से ही होता आ रहा हैप्राचीन काल के बाद यह सुची भेदन पद्धति बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा श्रीलंकाजापान व चीन ले जायी गई और इसका सम्पूर्ण एवं पूर्ण विकास चीन में हुआ। आज विभिन्न देशों जैसे की अमेरिका में रिफ्लेक्सोलॉजीचीन में एक्युपंचरजर्मनी में इलेक्ट्रो एक्युपंचरजापान में शियात्सुकोरिया में सर पार्क के द्वारा प्रतिपादित सुजोक एक्युपंचर के रूप में यह जाना जाता है।

Acupressure-Chikitsa

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एक्युप्रेशर का अर्थ

एक्युपंचर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। एक्यु का अर्थ है सूचिका एवं पंचर का अर्थ है भेदन। अर्थात् शरीर में स्थित भिन्न-भिन्न बिन्दुओं का सूचिका भेदन द्वारा स्वास्थ्य अर्जित करना। इन बिन्दुओं पर अंगुलियों का प्रयोग करके पंचर के स्थान पर दबाव दिया जाना एक्युप्रेशर कहलाता है तथा इन्हीं बिन्दुओं पर केवल रंगों का प्रयोग कर उपचार करना ही रंग चिकित्सा है। हमारे ऋषि मुनियों को रंगों के उपयोग का सम्पूर्ण ज्ञान था। होली पर्व पर प्राकृतिक रंगों जैसे पीलालालहराअबीर रंगों से सारे शरीर को सिंचित किया जाता थाजिसका प्रभाव हमारे शरीर के प्रतिरोध तंत्र पर पड़ता है।

प्राचीन भारतीय परम्पराओं में विवाहित स्त्रियाँ माथे पर दोनों भौंह क मध्य भाग पर बिन्दी लगाती रहीं हैं। लाल रंग शरीर में रक्त संचारवृद्धि करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह स्थान Pituitary Gland से सम्बन्धित हैंजिससे स्त्रियों में कमनीयता बनी रहती है। इसके विपर विधवा स्त्रियों को उस स्थान पर चन्दन लेपन का परामर्श हमार ने दिया हैजिससे काम भाव का शमन हो सके। इस प्रकार रंगों का प्रयोग हमारे पूर्वज आदि काल से किसी न किसी रूप में शरीर साधना के लिये करते रहे हैंपरन्तु आज पुन: बढ़ती हुई बीमारियों के दुष्चक्र ने अनेक वैकल्पिक उपचार पद्धतियों को जन्म दियाजिसमें से रंगों द्वारा एक्युप्रेशर उपचार अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।

एक्युप्रेशर की परिभाषा

विभिन्न विद्वानों के द्वारा एक्युप्रेशर को अलग-अलग परिभाषाओं के रूप में व्यक्त की गई हैं जो निम्न हैं-

डॉ. पार्क जे. वु. - अपनी 'सूक्ष्म अभिनव एक्युप्रेशर एक्युपंचरपुस्तक में कहते हैं कि प्रकृति ने हमारे हाथों एवं पैरों की संरचना इस ढ़ग से की है कि उनमें शरीर के सभी अवयवों एवं अंगों के साथ समानता है। इन सम्बंधित केन्द्रों बिन्दुओं पर दबाव देकर या अन्य फिर एनी किसी माध्यमों से शरीर की ऊर्जा शक्ति को उद्वेलित करके शारीरिक असहजता का निवारण किया जा सकता है

डॉ० फिट्जजेराल्ट  इनका का कहना है हथेलियों में और पैरों के तलुवों में स्थित ज्ञान तन्तु ढक जाते हैं जिससे शरीर की विद्युत चुम्बकीय शक्ति का भूमि से पूर्णरूप से सम्पर्क स्थापित नहीं हो पातालेकिन इस एक्युप्रेशर विधि के द्वारा दबाव के उपचार से ज्ञान तन्तुओं के छोर पर हुआ जमाव दूर हो जाता है और शरीर की विद्युत चुम्बकीय तरंगों का पुनः मुक्त सञ्चरण होने लगता है।

महर्षि सुश्रुत - शल्य चिकित्सा के जनक ने रोगों में हाथ की हथेलियों एवं पैरों के तलुवों के विभिन्न बिन्दुओं पर पड़ने वाले दबाव के ज्ञान को प्रतिपादित किया। जिसकी पुष्टि एक्युप्रेशर उपचार में होती है।

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महर्षि चरक - इन्होंने रक्त संचार को ठीक करनेअनेक शारीरिक एवं मानसिक रोगों को दूर करनेमांसपेशियों को सशक्त बनाने तथा सम्पूर्ण शरीर विशेषकर मस्तिष्क तथा चित्त को शान्त रखने के लिए गहरी मालिश (एक्युप्रेशर) करने को कहा है।

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य - स्वास्थ्य के लिए जीवनी शक्ति की प्राप्ति विशेष अदृश्य रेखाओं से आती है जिसका सम्बन्ध सम्पूर्ण शरीर से है। उन बिन्दुओं पर सुई का स्पर्श या फिर थोड़ा दबाव देने से दर्द या रोग तुरंत समाप्त हो जाता है। शल्य चिकित्सा से उत्पन्न दर्द को भी इन दबाव से आराम मिल सकता है

श्री देवेन्द्र वोरा - अपनी पुस्तक 'आपका आरोग्यआपके हाथों मेंउल्लेख करते हुए कहा हैं कि एक्युप्रेशर एक ऐसा प्राकृतिक विज्ञान है जो हमारे शरीर की आंतरिक संरचना द्वारा वांछित भाग में आवश्यकतानुसार प्राण ऊर्जा पहुँचाकर हमें रोगों को दूर करना सिखाता हैं।

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