मर्म चिकित्सा क्या है
मर्म चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें अल्प समय में थोड़े से अभ्यास से अनायास ही उन
सभी लाभों को प्राप्त किया जा सकता है जो किसी भी प्रकार की प्रचलित व्यायाम विधि
द्वारा मनुष्य को उपलब्ध होता है। आवश्यकता मर्म विज्ञान एवं मर्म चिकित्सा के
प्रचार एवं प्रसार की है, जिससे अधिक से अधिक लोग इस चिकित्सा
पद्धति का लाभ उठा सकें। जहाँ अन्य चिकित्सा पद्धतियों का इतिहास कुछ सौ वर्षों से
लेकर हजारों वर्ष तक का माना जाता है वहीं मर्म चिकित्सा पद्धति को काल खण्ड में
नहीं बाँधा जा सकता है।
समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ मनुष्य द्वारा विकसित की गई हैं,
परन्तु मर्म चिकित्सा प्रकृति अर्थात् ईश्वर प्रदत्त चिकित्सा
पद्धति है। अतः इसके परिणामों की तुलना अन्य चिकित्सा पद्धतियों से नहीं की जा
सकती है। अन्य किसी भी पद्धति से अनेक असाध्य रोगों को मर्म चिकित्सा द्वारा आसानी
से उपचारित किया जा सकता हैं।
इस मानव शरीर में असीम क्षमताएं एवं सम्भावनाएं निहित हैं, मर्म चिकित्सा तो स्वास्थ्य विषयक समस्याओं के निवारण का एक छोटा सा उदाहरण मात्र है।
मर्म चिकित्सा का अर्थ
प्राचीन काल में इस चिकित्सा पद्धति को गुप्त रखने का क्या उद्देश्य रहा होगा, इसको जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि मर्म क्या है? चिकित्सकीय परिभाषा के अनुसार मारयन्तीति मर्माणि अर्थात् शरीर के वह विशिष्ट भाग जिन पर आघात करने अर्थात् चोट लगने से मृत्यु सम्भव है, उन्हें मर्म कहा जाता है। इन्हीं मर्मों की चिकित्सा करना ही मर्म चिकित्सा कहलाती है। इसका सीधा अर्थ है कि शरीर के यह भाग अत्यन्त महत्वपूर्ण है तथा जीवनदायिनी ऊर्जा से युक्त हैं। इन पर होने वाला आघात मृत्यु का कारण हो सकता है। इन स्थानों पर प्राणों का विशेष रूप से वास होता है। अतः इन स्थानों की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए।
मर्म चिकित्सा विज्ञान की विषयवस्तु अत्यन्त विस्तृत है तथा इसके द्वारा प्रशिक्षित व्यक्ति, यदि किसी विधिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक हैं तो अधिक प्रभावशाली रूप से रोगों की चिकित्सा करने में सक्षम होंगे। मर्मविज्ञान का अध्ययन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। वह इसके द्वारा अपने, अपने परिवार, समाज के लोगों के स्वास्थ्य संवर्धन, रोगनिवारण और शक्तिसंचयन के उद्देश्य को पूरा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।
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'मर्म चिकित्सा विज्ञान' का उद्देश्य मर्मविज्ञान के सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक ज्ञान के द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षित करना है। इस के द्वारा मर्मविज्ञान एवं चिकित्सा का गुणात्मक अध्ययन संभव हो सकेगा। अधिक से अधिक लोग इसका नैतिक मूल्यपरक ज्ञान प्राप्त कर, अन्य लोगों को भी मर्म चिकित्सा का ज्ञान बाँट सकेंगे। इसमें निष्णात होने के पश्चात् विषय के उत्कृष्ट ज्ञान एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण को समझने में भी आसानी होगी।
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