प्रश्रोपनिषद् का परिचय
प्रश्रोपनिषद् उपनिषद् शृंखला के दस मुख्य उपनिषदों के अंतर्गत निहित है। प्रश्नोपनिषद् अथर्ववेद के पिप्पलाद शाखा का एक ब्राह्मण भाग है। इस उपनिषद् के अंतर्गत ज्ञानयोग, द्वैत, अद्वैत सिद्धांत सम्बन्धी अनेकानेक परमात्मतत्व जिज्ञासाएं समाहित हैं। प्रश्नोपनिषद् भी अन्य उपनिषदों की भांति संस्कृत भाषा में ही लिखित है। इस उपनिषद् में सुकेशा आदि जिज्ञासुओं द्वारा महर्षि पिप्पलाद से पूछे गये छः प्रश्न और उनके उत्तरों का वर्णन प्राप्त होता है। प्रश्न करने के कारण इस उपनिषद् का नाम प्रश्रोपनिषद् पड़ा है।
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प्रश्रोपनिषद् के प्रथम प्रश्न में कबन्धी ने महर्षि पिप्पलाद से प्राण और रयि के सम्बन्ध में जानना चाहा। द्वितीय प्रश्न में भार्गव ने प्रजा के आधार विषयक तीन प्रश्न किये हैं।
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पाँचवें प्रश्न के अन्तर्गत सत्यकाम ने ॐकार की उपासना जाननी चाही है। छठा प्रश्न सुकेशा ने किया, जिसमें १६ कलायुक्त पुरुष के विषय में जिज्ञासा की गयी है। अन्त में सभी प्रश्नों के समुचित समाधान पाकर जिज्ञासुओं द्वारा महर्षि पिप्पलाद के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनकी वन्दना की गयी है। प्रश्रोपनिषद का परिचय इस प्रकार से प्राप्त होता है।
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