चुम्बक चिकित्सा क्या है
प्राचीनकाल से विश्व में मानवीय रोगों के उपचार के अनेकानेक प्रकार
प्रचलित रहे हैं। पुरातन आयुर्वेद और यूनानी औषधियों के द्वारा उपचार व्यवस्था के
साथ ही साथ और भी अनेक विधियां पुरातन काल से आज भी चली आ रही हैं। तपते लोहे के
द्वारा रोगग्रस्त अंगों को सेंकने, तपाने और दागने की क्रिया किरणों द्वारा उपचार, प्राकृतिक
चिकित्सा की तरह चुम्बक द्वारा चिकित्साएं पुरातन काल से प्रचलित हैं। वर्तमान
होम्योपैथी और एलोपैथी जैसी सुलभ चिकित्सा उपलब्ध होते हुए जिन प्राचीन चिकित्सा
पद्धतियों का प्रचलन सर्वाधिक है उनमें चुम्बकीय चिकित्सा प्रणाली अत्यधिक प्रचलित
है।
आयुर्वेद के सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ चरक संहिता में चरक ने लिखा है- 'संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जिसमें उपचार का गुण न हो।' जड़ी-बूटियां, विभिन्न धातुओं की भस्में आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा प्रणाली में प्रयोग की जाती हैं। चुम्बक भी एक धातु ही है। लेकिन इसका प्रयोग भस्म के रूप में नहीं किया जाता। इसके द्वारा उपचार अवश्य किया जाता है।"
आयुर्वेद के अनुसार चुम्बक का प्रयोग रक्तस्राव होने अर्थात् शरीर के किसी भी भाग से रक्त बहने पर चुम्बक का प्रयोग किया जाता था। प्राचीन काल में स्त्रियों का मासिक धर्म यानी रजस्वला होने पर अत्यधिक रक्तस्राव होने की स्थिति में भी चुम्बक का प्रयोग किया जाता था। कहा भी गया है-
अर्थात् शरीर की कितनी ही शिराओं और धमनियों से कितना ही रक्त क्यों न प्रवाहित हो रहा है सिकतावली अर्थात् चुम्बक चिकित्सा के प्रयोग से तत्काल ही रक्त प्रवाह रुक जाता है।
चुम्बक चिकित्सा का अर्थ
चुम्बक चिकित्सा प्रणाली प्राकृतिक चिकित्सा की एक महत्वपूर्ण शाखा है। जिसके चमत्कारी प्रभाव चिकित्सा जगत में अपना स्थान जमाये जा रहे हैं। दवाओं का उपयोग न करने वाली विभिन्न पद्धतियों में यह प्रमुख पद्धति है। अतः कहा जा सकता है की चुम्बक के द्वारा शरीर की चिकित्सा करना ही चुम्बक चिकित्सा कहलाती है। यद्यपि इस पद्धति का संबंध ऋग्वैदिक काल से जुड़ा चला आ रहा है, तथापि किन्हीं परिस्थितिवश यह अनुपम पद्धति अपने महात्मय से वंचित रही है।
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आज प्राकृतिक उपचारों के अन्वेषण काल में यह पद्धति अपनी गौरवमयी छवि को पुनः पा रही है। कई ऐसे आसाध्य रोग जिनका अन्य पद्धतियों से उपचार नहीं हो सकता, चुम्बक चिकित्सा ने उस पर अपना प्रभाव दिखाया है। कई उन्नत देशों में पौधों, पशुओं और मनुष्यों पर चुम्बकत्व के प्रभाव के बारे में शोध कार्य किया गया है और यह बात निर्विवाद रूप से प्रमाणित हो गयी है कि चुम्बक लगाने से कई मानवीय रोगों का इलाज हो जाता है। रूस, जापान व अमेरिका आदि देशों में यह पद्धति काफी विकसित हो चुकी है। भारत में अभी यह अपने शैशवकाल में है, किन्तु विभिन्न चिकित्सकों के अकथनीय सहयोग से यह अपने विकास की ओर अग्रसर हो रही है।
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