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पर्यावरण क्या है | पर्यावरण का अर्थ | People and Environment | जन एवं पर्यावरण

पर्यावरण क्या है

आज के वर्तमान समय में पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। ग्रामीण समाज की तुलना में महानगरीय जीवन में इसके प्रति कुछ खास उत्सुकता नहीं पाई जाती। पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध हमारी प्रकृति से है। हम अपने परिवेश में भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ देखते हैं। ये सब मिलकर ही पर्यावरण की रचना करते हैं। यहाँ पर हम पर्यावरण क्या है एवं पर्यावरण का अर्थ जानने का प्रयास करेंगे। हमारी पृथ्वी ब्रह्माण्ड के कुछ प्रमुख ग्रहों में से सबसे सुन्दर एवं आकर्षक ग्रह है, पृथ्वी की इस सुन्दरता एवं आकर्षण के पीछे इस पर विद्यमान जीवन का चक्र है।

पृथ्वी में जीवन की विद्यमानता के पीछे उसमें व्याप्त पर्यावरण है, अर्थात् पृथ्वी पर पर्यावरण का होना ही जीवन का आधार माना जाता है, क्योंकि जीवन रूपी सुन्दर सृष्टि की रचना पंच तत्वों- पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि से हुई है। इन्ही पंच तत्वों से सम्पूर्ण जगत् की सृष्टि चल रही है और ये संसार को जीवन व शक्ति प्रदान करते हैं। इन्हीं पंच तत्वों से मिलकर पर्यावरण की रचना हुई है, अर्थात् पर्यावरण हमारी सम्पूर्ण मानवता के जीवन का आधार स्तम्भ है।

What-is-Environment

पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के परि उपसर्ग अर्थात् (चारों ओर) और आवरण इन दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो किसी व्यक्ति या जीवधारी को चारों ओर से घेरे हुए हैं। पर्यावरण शब्द का उद्भव फ्रेंच भाषा के ENVIRONNER शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है- 'घेरना'। अतः इसमें किसी जीव के चारों ओर उपस्थित समस्त जैविक तथा अजैविक पदार्थों को पर्यावरण के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार जल, वायु, भूमि उनके पारस्परिक सम्बन्ध, अन्य वस्तुओं जैसे- जीवों, सम्पत्ति तथा मनुष्य के आपसी सम्बन्धों को मिलाकर ही पर्यावरण का निर्माण होता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार- पर्यावरण के अन्तर्गत सभी भौतिक अथवा जैविक पदार्थों और उनके आपसी सम्बन्धों को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति को पर्यावरण का अध्ययन करने के लिये इससे सम्बन्धित विभिन्न विषयों की जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। वनस्पति विज्ञान, जीवविज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, आनुवंशिकी, जैव रसायन तथा जैव प्रौद्योगिकी आदि जीवन सम्बन्धी विज्ञान की जानकारी पर्यावरण के जैविक संघटकों तथा रासायनिक संरचना, ऊर्जा स्थानान्तरण तथा ऊर्जा प्रवाह आदि को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, समुद्री विज्ञान तथा भौगोलिक विज्ञान आदि के मूल सिद्धान्तों के ज्ञान के आधार पर समझा जा सकता है।

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गणित, सांख्यिकी तथा कम्प्यूटर विज्ञान, पर्यावरण के प्रबन्धन तथा इसका प्रतिरूप बनाने में सहायक होते हैं। पर्यावरण के विभिन्न विकास कार्यक्रमों से जुड़े इसके सामाजिक तथा आर्थिक पहलुओं की जानकारी समाजशास्त्र तथा जनसंचार के माध्यम से प्राप्त की जाती है। पर्यावरणीय अभियान्त्रिकी, सिविल अभियान्त्रिकी तथा रसायन अभियान्त्रिकी के माध्यम से पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम, कूड़ाकरकट का निस्तारण तथा स्वच्छ तकनीकी आदि का विकास तथा पर्यावरण का संरक्षण सम्भव है। पर्यावरण संपूर्ण बाह्य दशाओं एवं प्रभावों, जो जीवमात्र के जीवन एवं विकास को प्रभावित करते हैं, का योग है।

वास्तव में यह शब्द सम्पूर्ण ज्ञात-अज्ञात ब्रह्माण्ड को सम्मिलित कर लेता है, क्योंकि हमारे प्राचीन ग्रन्थों में द्युलोक, अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पतियों, औषधियों, देवों एवं सभी की शान्ति के लिए प्रार्थना की गई है। एक विशेष पर्यावरण, जिसमें एक विशेष जीव वर्ग या समुदाय निवास करता है, निवासस्थल HABITAL कहलाता है। छोटे क्षेत्रों में रहने वाले किसी विशेष जीव वर्ग के पर्यावरण को सूक्ष्म पर्यावरण MICRO-ENVIRONMENT कहते हैं। पृथ्वी के भौतिक, जैविक एवं सांस्कृतिक तत्व एक अन्तर्क्रियात्मक तंत्र का निर्माण करते हैं, जिसे मानव का पर्यावरण कहते हैं। यही 'पर्यावरण' मानव-जीवन एवं उसके अस्तित्व का आधार है।

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