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स्वस्तिकासन की विधि लाभ सावधानियां | Swastikasana Kaise Kare | स्वस्तिकासन के फायदे

स्वस्तिकासन का नामकारण

स्वस्तिकासन के लिए दोनों जाँघों और घुटनों के मध्य दोनों तलवों को रखकर त्रिकोणाकार आसन लगाकर, समभाव से बैठे, इसे स्वस्तिकासन कहते हैं। स्वस्तिकासन ध्यान के मुख्य आसनों में से एक है। अलग-अलग योग के प्रणेताओं एवं व्याख्याकारों ने अलग-अलग अभ्यासों को सर्वश्रेष्ठ माना है। सामान्य रूप से ध्यान के चार प्रमुख आसन माने जाते हैं- पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन और स्वस्तिकासन। योग के सभी व्याख्याकारों ने इन चार आसनों को अपनी पूर्ण सहमति प्रदान की है। इनके अतिरिक्त ध्यान के और भी आसन हैं, लेकिन ये चार प्रमुख माने गये हैं।

स्वस्तिकासन विधि

स्वस्तिकासन का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाया जाता है। तत्पश्चात् बायें घुटने को मोड़कर बायें पैर के तलवे को दायीं जाँघ के भीतरी भाग के पास इस प्रकार रखते हैं कि एड़ी सिवनी का स्पर्श न करे। दायें घुटने का मोड़कर दायें पैर को बायें पैर के ऊपर रखते हैं जैसे सुखासन में बैठते हैं। अब केवल सुखासन में बैठना नहीं है, जिस प्रकार सिद्धासन के अभ्यास में पैर के पंजों को जाँघ और पिण्डली के बीच से निकाला जाता है, ठीक उसी प्रकार सुखासन में बैठकर, बायें पैर को मोड़कर पंजे को दाहिनी जाँघ और पिण्डली के बीच से ऊपर निकालना है और दाहिने पैर के पंजे को बायीं जाँघ और पिण्डली के बीच से ऊपर निकालना है।

How-to-do-Swastikasana

स्वस्तिकासन की सम्पूर्ण विधि लाभ एवं सावधानियां विडियो देखें

इस स्थिति में आने के बाद ध्यान रखें की दोनों पैरों के पंजे जाँघ और पिण्डली के बीच दबे रहते हैं। एड़ी श्रोणि प्रदेश का स्पर्श न करें, घुटने जमीन के सम्पर्क में रहें, रीढ़ की हड़ी को सीधा रखें। इसके बाद दोनों हाथों को चिन् या ज्ञान मुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें या फिर गोद में रखें। आँखें बन्द कर पूरे शरीर को शिथिल बनायें। शरीर को व्यवस्थित कर आसन को आरामदायक बनायें।

स्वस्तिकासन के लाभ

स्वस्तिकासन ध्यान के लिए सर्वोत्तम आसन माना जाता है। स्वस्तिकासन के लाभ वही हैं जो सिद्धासन के लाभ हैं। यह शरीर को स्थिर बनाने के लिए यह एक सरल अभ्यास है। स्वस्तिकासन के अन्य लाभ-

  • स्वस्तिकासन मूलाधार क्षेत्र में रक्त आपूर्ति की कमी तथा चक्रों में प्राण-प्रवाह के पुनर्सन्तुलन में सहायक है।
  • स्वस्तिकासन मूलाधार चक्र पर दबाव डालता है, जिससे मूलबन्ध स्वतः लग जाता है।
  • स्वस्तिकासन प्रजनक हार्मोनों के स्राव को नियन्त्रित करता है, जो आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक है।

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स्वस्तिकासन की सावधानियाँ

यह आसन एक ध्यानात्मक आसन है, इसलिए सभी व्यक्ति इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं कुछ रोगों में जैसे की साइटिका एवं रीढ़ के निचले भाग के विकारों से पीड़ित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। कमर व घुटनों में अधिक दर्द होने की स्थिति में या फिर ओपरेशन होने की इस स्थिति में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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